जेल की दीवारों से बात कर बदले संजय राउत के सुर! जताई मोदी – अमित शाह से मिलने की चाहत।

    उद्धव ठाकरे ने जेल से बाहर आए संजय राउत की तारीफ़ मे कहा है कि वो औरों की तरह ED के दबाव मे आकर टूटे नही है। जेल गए पर पार्टी के साथ रहे। लेकिन जेल से बाहर आते ही संजय राउत के सुर बदल गए है। हालांकि जेल जाने से पहले वे जिस तेवर में फड़णवीस और शिंदे सरकार को कोस रहे थे। जिस अंदाज में केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे थे, जेल से बाहर निकलते ही उनके सुर बदले हुए नजर आए है। संजय राउत, देवेंद्र फडणवीस की शान मे कसीदे पढ़ रहे है और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की बात कहने लगे है।

    आपको बता दे, संजय राउत की जेल से वापसी पर उनके समर्थकों ने जगह जगह ‘टाइगर इज बैक’, ‘शिवसेना का बाघ आया’ जैसे पोस्टर भी लगाए। शिवसेना सांसद संजय राउत पात्रा तीन महीने बाद जेल से रिहा हो गए।. उन्हें ED ने पात्रा चॉल घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में इस साल जुलाई में गिरफ्तार किया था। जेल से बाहर आने के बाद संजय राउत ने गुरुवार को अपने घर के बाहर मीडिया से बात की। चर्चा में उन्होंने बताया कि उनकी सेहत ठीक नहीं है।
    इसके साथ ही राउत ने इशारों इशारों में विपक्षियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने यह साजिश रची थी, उन्हें यदि आनंद मिला होगा तो मैं इसमें उनका सहभागी हूं। मेरे मन में किसी के लिए कोई शिकायत नहीं है। मैं पूरी व्यवस्था को या किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को दोष नहीं दूंगा।

    इतना ही नही, संजय राउत ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की भी तारीख की है.साथ ही उन्होंने आगे कहा, मैं आज ही उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिलूंगा. दो-चार दिन में मैं आम लोगों के काम से देवेंद्र फडणवीस से मिलूंगा, मैं दिल्ली भी जाऊंगा और वहां गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलूंगा.
    हालाकि, जब संजय राउत जेल गए उससे पहले और उनके जेल से आने के बाद कई तरह की राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं। एकना​थ शिंदे और फड़णवीस सरकार ने अब राज्य पर अपनी पकड़ पहले से मजबूत बना ली है। यह बात राउत भी जानते हैं। खास बात यह कि पहले विधायक टूट तब तक भी संजय राउत एकनाथ शिंदे गुट पर आरोप और निशाना साधते रहे, लेकिन बाद में तो सांसद भी टूटकर शिंदे सरकार से मिल गए थे।

    संजय राउत जेल में थे, तभी शिवसेना के चुनाव चिह्न को लेकर घमासान हुआ। यानी उद्धव गुट ‘तीर—कमान’ पर अपना कब्जा नहीं कर पाया। ​उद्धव गुट के हाथ से फिसलती ‘राजनीतिक जमीन’ देखकर संजय राउत ने अभी अपने सुर नरम ही रखे हैं। लेकिन संजय राउत भी बाला साहेब के समय के ‘राजनीतिक खिलाड़ी’ हैं। वे कुछ दिन बाद वक्त और हालात समझकर फिर विपक्षियों पर निशाना साधने लगेंगे। दूसरी संभावना यही है कि ईडी के शिकंजे के बाद अब वे अपने सुर और तेवर शिंदे सरकार के खिलाफ नरम ही रखेंगे। लेकिन उनका आगे क्या रुख रहता है ये तो आगे आने वाला समय ही बताएगा।