गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत में शामिल करने की मांग

पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच गिलगित बाल्टिस्तान के लोग सरकार और आर्मी के खिलाफ पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि कारगिल रोड खोलकर गिलगित बाल्टिस्तान को भारत के लद्दाख के करगिल जिले में शामिल किया जाए। उनका कहना है कि सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है, लेकिन अब गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर फैसला हम करेंगे।

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लोग बोले- आर-पार जोड़ दो, कश्मीर का द्वार खोल दो

पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच गिलगित बाल्टिस्तान के लोग सरकार और आर्मी के खिलाफ पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि कारगिल रोड खोलकर गिलगित बाल्टिस्तान को भारत के लद्दाख के करगिल जिले में शामिल किया जाए। उनका कहना है कि सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है, लेकिन अब गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर फैसला हम करेंगे।

दरअसल, पाकिस्तान की सेना डेमोग्राफी बदलने के लिए दूसरे प्रांतों के लोगों को वहां बसा रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के लोग उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। इन लोगों को सेना का समर्थन है। उनकी सुरक्षा के लिए सेना के जवानों की तैनात की जा रही है। इसके चलते स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। ये लोग मसले पर भारत से दखल देने की मांग भी कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे लोगों के वीडियो भी सामने आ रहे हैं। जिसमें प्रदर्शनकारियों को नारेबाजी करते सुना जा सकता है। वे कह रहे हैं, ‘आर-पार जोड़ दो, कश्मीर का द्वार खोल दो।’ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हमारे फैसले इस्लामाबाद की सरकार नहीं लेगी और न हम उनको ऐसा करने की इजाजत देंगे। गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर फैसला अब यहां की जनता करेगी।

गिलगित क्षेत्र के मिनावर गांव में सेना के जवान स्थानीय लोगों की प्रॉपर्टी गिराने के लिए पहुंचे थे। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने सेना के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों का आरोप है कि सेना अवैध कमाई करने के लिए सिस्टेमेटिक ढंग से लोगों की जमीन हड़प रही है।

सेना का विरोध कर रहे मिनावर गांव के लोगों को आस-पास के इलाकों की जनता का समर्थन भी मिल रहा है। कई प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भले ही सेना उन्हें गोली मार दे, लेकिन वे उन्हें जमीन नहीं कब्जाने देंगे। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि यह हमारी पुश्तैनी जमीन है। हम किसी भी कीमत पर इसे नहीं देंगे।