18 नवंबर, सुबह 11:30 बजे, भारत की एक प्राइवेट कंपनी Skyroot ने भारत के आने वाले सुनहरे भविष्य को दर्शाते हुए देश का पहले प्राइवेट रॉकेट “विक्रम – एस” को लॉन्च कर सुनहरा इतिहास रचा दिया।
किस तरह से sky root भारत के उज्ज्वल भविष्य में सहायक रहेगा
बीते कुछ सालों से जिस तरह से भारत ने अंतरिक्ष में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है वो वाकई में सराहनीय है| भारत हर दिन अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है फिर चाहे एक बार में सबसे अधिक 104 सैटलाइटों को अंतरिक्ष में भेजना हो या फिर UNITYsat जैसे अन्य स्पेस क्राफ्ट को लॉन्च करना हो|
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र के सुनहरे इतिहास में 18 नवंबर 2022 को एक और सुनहरा अध्याय जुड़ चुका है
बीते शुक्रवार को सुबह 11:30 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के पहले प्राइवेट रॉकेट विक्रम – एस को लॉन्च कर विश्व को भारत का सुनहरा भविष्य दिखाया है
मिशन प्रारंभ
भारत सरकार द्वारा चलाई गई स्टार्टअप योजना ने भारत को विश्व स्तर के काफी स्टार्टअप दिए हालांकि 2020 के पहले भारत अंतरिक्ष के मिशन के लिए किसी भी निजी कंपनी को मंजूरी नहीं देता था पर साल 2020 में डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस की संस्था इन स्पेस द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप को मंजूरी दे दी गई।
इस दौरान Skyroot पहला ऐसा स्टार्टअप बना जिसने ISRO के साथ मेमरोंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन कर मिशन प्रारंभ की घोषणा कर दी।
इस मिशन के अंतर्गत निजी कंपनी Skyroot ने विक्रम एस (Vikram-S) नाम के एक स्वतः निर्मित रॉकेट को मात्र 2 साल में निर्मित कर 18 नवंबर 2022 को अंद्रप्रदेश के श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया।
इस मिशन के अंतर्गत विक्रम एस (Vikram-S) के साथ 3 पेलोड को भेजा गया जिसमे चेन्नई के एयरोस्पेस स्टार्टअप Space kidz, आंध्र प्रदेश के एयरोस्पेस स्टार्टअप N space tech साथ ही एक अंतरिक्ष का पेलोड BazoomQSpace के पेलोड को भेजा गया था।
इस मिशन को अंजाम देते हुए रॉकेट “विक्रम एस “लगभग 5 मिनट तक स्पेस में रहा और इस दौरान इसने अधिकतम ऊंचाई 89 किलोमीटर की पाई और फिर वहां से नीचे आते हुए बंगाल की खड़ी में गिर गया।
विक्रम एस (Vikram-S)
भारत के सर्वप्रथम प्राइवेट निर्मित रॉकेट विक्रम एस का नाम भारत के महान वैज्ञानिक ISRO के संस्थापक डॉक्टर विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। साथ ही इस रॉकेट में उसे किए जाने वाले इंजन का नाम मिसाइल मैन ऑफ इंडिया सर अब्दुल कलाम के नाम के ऊपर कलाम 80 रखा गया है
इस रॉकेट का प्रयोग मुख्य तौर पर मार्केट में मौजूद छोटी सैटेलाईटों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया जाएगा।
आने वाले समय में ये रॉकेट हमें तीन रूप में देखने को मिलेगा
पहला विक्रम 1 जो 225 kg से 315 kg तक का पेलोड ले जाने में सक्षम रहेगा दूसरा विक्रम 2 जो 410 से लेकर 520 किलो तक पेलोड को अपने साथ ले कर जा सकेगा और फिर आता है तीसरा विक्रम 3 जो 580 से लेकर 720 किलो तक payloads को अंतरिक्ष में पंहुचा पाने में सक्षम रहेगा