UP MLC Election: यूपी एमएलसी की दो सीटों पर भाजपा की जीत तय! जानिए अखिलेश यादव ने क्यों उतारे अपने प्रत्याशी

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UP MLC Election

उत्तर प्रदेश की दो विधानपरिषद (UP MLC Election) की खाली पड़ी सीटों पर 29 मई को चुनाव होने हैं, इसके नामांकन के लिए गुरूवार को अंतिम तिथि थी, इससे पहले सीएम योगी ने अपने दो प्रत्याशी पूर्व सांसद पद्यसेन चौधरी और मानवेंद्र सिंह पर्चा दाखिला करवाया। वहीं, दूसरी ओर सपा के विधानसभा में विधायकों की संख्या कम होने के बाद भी राम जतन राजभर और रामकरन निर्मल का नामांकन दाखिल करवाया।

दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत तय 

इन दोनों सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है, इसलिए किसी भी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। लेकिन इसके बावजूद समाजवाद पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का इस चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करवा दिया है। अब विपक्ष बीजेपी को वोट देगा या सपा को? बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को इस बात का पता है कि बीजेपी को विशाल बहुमत प्राप्त है, फिर भी सपा ने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।

बीजेपी के सामने सपा? 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा प्रमुख यूपी वालों को इस बात का एहसास दिलाना चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को अगर कोई पार्टी चुनौती दे सकता है। तो वह समाजवादी पार्टी। सपा ने जातीय समीकरण को बनाते हुए एक दलित कैंडिडेट और दूसरा ओबीसी उम्मीदवार को चुना है। तो वहीं, बीजेपी ने एक ओबीसी और दूसरा क्षत्रिय समाज से संबंध रखता है। इस बीच अखिलेश यादव जनता का इस बात की ओर ध्यान दिलाने चाहते हैं कि 80 बनाम 20 फीसदी पर सिर्फ समाजवादी पार्टी ही चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के पास प्रचंड बहुमत 

अगर इन दोनों सीटों पर चुनाव की बात करें तो बीजेपी साफतौर से चुनाव जीतती हुई दिख रही है, क्योंकि उसके पास विधायकों की संख्या अच्छी खासी है। जब बीजेपी की ओर से रामजतन राजभर और मानवेंद्र सिंह अपना नामांकन दाखिल करने के लिए चुनाव अधिकारी के पास पहुंचे तो उस दौरान प्रदेश के सीएम योगी, दोनों डेप्यूटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना समेत सरकार के कई मंत्री मौजूद थे।

जानें चुनावी गणित

यूपी विधान परिषद की दो सीटें यूपी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की हैं और दोनों का कार्यकाल अलग-अलग होना है। इसलिए दोनों सीटों पर अलग-अलग तारीखों पर ही वोट डाले जाएंगे। यानी हर सीट पर दो प्रत्याशी हैं और हर प्रत्याशी के लिए 403 विधायक वोट डालेंगे। चुनाव अधिकारी मोहम्मद मुशाहिद ने कहा कि एक सीट को जीतने के लिए 202 विधायकों का वोट पाना जरूरी है। जहां एक ओर बीजेपी के पास 255 सदस्य हैं, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) के 13 और निषाद पार्टी के 6 विधायक है, ऐसे में भाजपा के पास 274 विधायक हो गए। वहीं, सपा के पास 109 सदस्य हैं और उसके सहयोगी दल के पास 9 विधायक हैं, टोटल 118 विधायक हो गए। इससे पता चलता है कि बीजेपी साफतौर से चुनाव जीत रही है।