Muzaffarnagar: मुसलमानों की संख्या बढ़ते ही जैन समाज ने किया भगवान सहित पलायन

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Muzaffarnagar

मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के हुसैन कलां गांव में सामाजिक सौहार्द और प्रशासन के सामने एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। इस गांव में कुछ परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न हुई हैं कि यहां से लोग प्रवास कर रहे हैं साथ ही भागवान को भी पलायन होने के लिए बाध्य होने पड़ रहा है। इस स्थान पर एक समुदाय की संख्या के बढ़ने से जैन समुदाय के लोग पहले चले गए। जब इस गांव में एक भी जैन समुदाय का परिवार नहीं रहा तो अब वहां से मंदिर को भी पलायन करना पड़ रहा है।

डेमोग्राफी बदलने से शुरू हुआ पलायन

बता दें कि इस गांव की जब डेमोग्राफी बदली तो मिश्रित जनसंख्या गांव में सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग ही बढ़ते चले गए और जैन समुदाय के लोग यहां से पलायन करते चले गए। फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब यहां पर जैन समुदाय का एक भी परिवार नहीं बचा। अब जैन समुदाय के लोगों ने भगवान चंद्रप्रभु जिनालय समोशरण मूर्तियों को बुढ़ाना के श्री पार्श्वनात दिगंबर जैन मंदिर में स्थापित कर देगा। इसके लिए बीते सोमवार को प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं।

बैंडबाजों के साथ होगा मूर्तियों का प्रवास 

जैन समुदाय की ओर से बनाया गया पूरे प्लान के मुताबिक 25 मई को गांव हुसैनपुर से मूर्तियों को बैंडबाजों के साथ पूरी धार्मिक प्रक्रिया के अनुसार स्थापित की जाएगी। लेकिन इन सब पूरी प्रक्रिया के बीच पांच सौ साल पुराने मंदिर को एक जगह से दूसरी ओर ले जाने पर कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। क्योंकि कभी जैन साधुओं का गढ़ रहा हुसैन कलां में आज सन्नाटा सा पसरा हुआ है।

500 साल पुराना है मंदिर 

मंदिर के प्रवास करने पर जब जैन समुदाय के लोगों से पूछा गया कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि जब गांव में कोई जैन परिवार नहीं है, चारों ओर मुस्लिमों की संख्या ज्यादा है, ऐसे में क्या कर सकते हैं? अगर इसके इतिहास के बारे में बात करें तो गांव के बुजर्ग बताते हैं कि आज से करीब पांच सौ साल पहले यहां पर मंदिर बनाया गया था। लेकिन गांव में पिछले पचास साल में भारी जनसंख्या में बदलान आने के कारण 80 फीसदी आबादी मुस्लमानों की हो गई।