Gyanvapi Masjid Case:
वाराणासी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid Case) का विवाद अब राम मंदिर की राह पर चल पड़ा है। अब अयोध्या की तरह ही ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे एएसआई कर सकता है। क्योंकि सर्वे को लेकर जो याचिका कोर्ट में दायर की गई थी, उसे अब कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। जिला जज ने याचिका को स्वीकारते हुए मुस्लिम पक्ष से तीन दिनों में जवाब तलब करने को कहा है।
19 मई को मुस्लिम पक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा
बता दें कि 19 मई को मुस्लिम पक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा और इस मामले पर 22 मई को अदालत में सुनवाई होगी, उसी दिन शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वे को लेकर भी जिला अदालत में सुनवाई होनी है। एएसआई जिला अदालत के सामने शिवलिंग पर अपनी वैज्ञानिक तरीके से अपनी बात को रखेगा। आपको बताते चले कि सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अदालत के सामने छह याचिकाकर्ताओं की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले सभी लोगों की आस्था है कि वह सर्वे के माध्यम से सच को जानना चाहते हैं।
क्या ज्ञानवापी का मामला राम मंदिर की राह पर चलेगा?
वकील विष्णु शंकर ने कहा कि अब ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर का मामला अयोध्या में राम मंदिर की तर्ज पर सुलझना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मामला सिर्फ शिवलिंग तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरी ज्ञानवापी का है। गौरतलब हो कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी बनाई गई है, इसका सबूत बीते साल को हुए कमिश्नर सर्वे में भी हो चुका है। विष्णु ने कहा कि मंदिर की दीवारों पर मस्जिद के तीनों गुबंद बने हुए हैं, जो साफ तौर से दिखाई देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि दीवारों पर बने त्रिशूल, ताखे और शंख इस बात की ओर पुष्टि करते हैं कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई है।
शिवलिंग के नीचे असली विश्वनाथ का शिवलिंग: हिंदू पक्ष
अब कोर्ट ने सुनवाई को लिए तारीख निश्चित की है तो मुस्लिम पक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया है, अब मुस्लिम पक्ष 19 मई को याचिका दायर कर एएसआई का विरोध कर सकता है। वहीं, हिंदू पक्षकारों मानना है कि शिवलिंग के नीचे असली विश्वनाथ का शिवलिंग स्थापित है। अगर पूरे कैंपस में सर्वे होता है तो इसकी पूरी सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। अब कोर्ट ने ASI द्वारा सर्वे किए जाने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसकी सुनवाई आने वाली 22 मई को होगी।