पहली बार हुआ था निर्वाचन शून्य
यू पी विधानसभा 2017 में सपा राष्ट्रीय सचिव Azam Khan ने
अपने बेटे अब्दुल्ला आज़म को चुनावी मैदान में उतरा विरोधियों ने खूब कोशिश की लेकिन Azam Khan के दबदबे के आगे सभी को पस्त होना पड़ा।
उनकी धाक का ही असर था कि अब्दुल्ला पहली बार चुनाव में ही जीत दर्ज करा ली
लेकिन उनके प्रतिद्वंदी नवबा काजिम अली खान ने उनके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर दी कि अब्दुल्ला ने कम उम्र में चुनाव लड़ा और इस आरोप को कोर्ट में साबित करने में भी कामयाब हुए जिसके बाद कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म के निर्वाचन को शून्य करार दे दिया।
Azam Khan के बेटे की दूसरी बार भी गई विधायकी
साल 2022 में Azam Khan ने अपने शहजादे को एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया और साहबजादे ने जीत दर्ज की लेकिन इस बार भी वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
अब्दुल्ला ने सपा के टिकट पर स्वार से चुनाव लड़ा था। 10 मार्च 2022 को विधायक घोषित हुए।
23 मई 2022 को शपथ ग्रहण किया लेकिन 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण में उन्हें सजा होने की वजह से और 13 फ़रवरी 2023 को उनकी विधायकी एक बार फिर से छीन ली गयी।
कैसी है यह विडंबना
Azam Khan के बेटे अब्दुल्ला को 2 साल की सजा हुई है।
लोक प्रतिनिधि अधिनियम के तहत यदि किसी भी जनप्रतिनिधि को 2 या 2 से अधिक सालों को सजा होती है।
उससे विधानसभा की सदस्यता छीन ली जाती है।
साथ ही साथ अग्रिम छह सालों तक चुनाव न लड़ने का प्रावधान भी है
पंद्रह साल पहले छजलैट में हुए बवाल में कोर्ट ने Azam Khan एवं उनके अब्दुल्ला आज़म को दोषी पाया है।
जिसेक लिए उन्हें 2-2 साल की सजा सुनाई गयी।
इस सुनवाई में पुलिसकर्मियों समेत 8 लोगों ने गवाही दी।
छजलैट प्रकरण में कोर्ट ने सपा के दो विधायक समेत सात लोगों को बरी कर दिया है।
कोर्ट ने दी थोड़ी राहत
हालाँकि कोर्ट ने आज़म खान एवं उनके बेटे की जमानत याचिका मंज़ूर कर ली है।
एवं सजा के लिए अपील करने के लिए एक माह का समय भी दिया है।