Gender-based Stereotypes Handbook: महिलाओं के लिए भद्र और अभद्र शब्दावली के हैंडबुक को किया गया लांच, अदालतों में नहीं इस्तेमाल होंगे ये शब्द

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Gender-based Stereotypes Handbook Update

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) द्वारा अदालतों के लिए सुनवाई और दलीलोज के दौरान जेंडर बेस्ड स्टीरियोटाइप  हैंडबुक (Gender-based Stereotypes Handbook) को लांच किया गया है. इसकी जानकारी देते हुए सीजेआई चंदचूर्ण बताया कि “इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द और वाक्य बताए गए हैं।”

CJI DY Chandrachud Announcement
CJI DY Chandrachud Announcement

प्रॉस्टिट्यूट-मिस्ट्रेस जैसे शब्द नहीं होंगे इस्तेमाल 

महिला दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि कानूनी मामलों में महिलाओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल रुकेगा, जल्द डिक्शनरी भी आएगी। ऐसे में आज आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक लॉन्च की है। इस हैंडबुक के बाद अब दलील या फैसले के दौरान प्रॉस्टिट्यूट/हुकर (पतुरिया) के जगह सेक्स वर्कर, चाइल्ड प्राॅस्टिट्यूड के जगह तस्करी करके लाया बच्चा व अफेयर के तौर पर शादी के इतर रिश्ता शब्द का उपयोग किया जायेगा।

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कलकत्ता हाईकोर्ट की टीम ने तैयार की हैंडबुक 

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि “जिस कानूनी शब्दावली के बारे में बताया है, उसे कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल थीं, जो फिलहाल कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज में फैकल्टी मेम्बर हैं।”