प्रहार मिसाइल
जब भी कभी आप भारतीय बेड़े की ओर बारीकी से देखेंगे तो आप पाएंगे की भारतीय सेना के पास इतिहास में 300 किलोमीटर से कम की मारक क्षमता रखने वाली कोई भी टैक्टिकल मिसाइल मौजूद नहीं है। और अगर आपको याद हो तो भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था की बड़े युद्ध को हमेशा छोटी मिसाइलों से जीता जायेगा, बड़ी मिसाइलें तो केवल शो पीस बनकर रह जायेंगी।
जिसे देखते हुए भारत के लिए ये बेहद जरूरी हो गया था की एक शॉर्ट रेंज टैक्टिकल मिसाइल का निर्माण किया जाए लिहाजा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा एक नए मिसाइल प्रणाली की नीव रखी गई जिसको नाम दिया गया “प्रहार मिसाइल।”
प्रहार मिसाइल की विशेषताएं
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा निर्मित प्रहार मिसाइल का गुरुवार, 21 जुलाई 2011 को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया जिसके बाद 2018 में इसका यूजर ट्रायल कर इसे सेना को समर्पित कर दिया गया।
वहीं अगर बात करें इस मिसाइल की खूबियों की तो आपको बता दें प्रहार मिसाइल सतह से सतह पे वार करने वाली एक काम दूरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक छमता 150 किलोमीटर है। साथ ही आपको बता दें कि ये मिसाइल एक समसामयिक हथियार प्रणाली के अंतर्गत आती है जो अनेक मुखास्त्र ले जाने के साथ साथ विभिन्न टारगेटों को एक साथ ध्वस्त करने में सक्षम है।
इतना ही नहीं इस मिसाइल प्राणली में मौजूद 6 मिसाइलें 2 मैक की गति से एक साथ एक ही जगह से अलग अलग दिशा में निशान साधने में सक्षम हैं।
अगर बात करें इस मिसाइल में उपयोग किए जा रहे इंजन की तो आपको बता दें इस मिसाइल में सिंगल स्टेज रॉकेट मोटर का इंजन लगाया गया है जो 1,280 किलोग्राम के द्रव्यमान वाली इस मिसाइल को 35 किलोमीटर के ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम बनाता है। साथ ही ये मिसाइल फाइबर – ऑप्टिकल गायरो इनट्रियल नेविगेशन सिस्टम से लैस हैं जो इस मिसाइल को और अधिक घातक बनाता है।
अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है की यह मिसाइल प्रणाली पिनाका और पृथ्वी के अंतरों को पाटने में सेना के लिए सहयोगी होगी।