Vote Counting Day:
Vote Counting Day: इलेक्शन के दौरान वोटिंग के बाद प्रेसिडिंग ऑफिसर ईवीएम (EVM) पर ‘क्लोज’ बटन दबाता है। इसके बाद ईवीएम और वीवीपीएटी को सील कर सशस्त्र सुरक्षा के तहत जिला मुख्यालयों या सब-डिविजन में ले जाया जाता है। उन्हें ये सारा कार्य कड़ी सुरक्षा के बीच उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों और चुनाव आयोग के सदस्यों की मौजूदगी में बंद कर दिया जाता है।
Vote Counting Day: CCTV की निगरानी में EVM और मतपत्र
इन वोटिंग मशीनों और मतपत्रों की सीसीटीवी से निगरानी की जाती है, साथ ही उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि भी कमरे के बाहर चौबीसों घंटे नजर बनाए रखते हैं । प्रत्येक स्ट्रांग रूम में एक प्रवेश बिंदु होता है जिसमें एक डबल लॉक होता है. इस लॉकर की चाबी जिला निर्वाचन अधिकारी और उप जिला निर्वाचन अधिकारी के पास होती है।
वोटों का पेपर ऑडिट ट्रेल
डाले गए वोटों का एक पेपर ऑडिट ट्रेल (Audit Trail) होता है और चुनाव आयोग की मशीन में कागज की एक पर्ची प्रिंट करती है जिसमें उस उम्मीदवार का नाम होता है जिसे वह वोट देता है, साथ ही पार्टी के सीरियल नंबर और सिंबल भी होता है । यह एक पारदर्शी खिड़की के साथ आता है ताकि मतदाता मुद्रित पर्ची को सात सेकंड के लिए देख सके।
कंट्रोल यूनिट को CCTV की निगरानी में लाया जाता है
मतगणना के दिन ईवीएम को रिटर्निंग अधिकारियों और चुनाव आयोग के विशेष सुपरवाइजर के साथ उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम से बाहर लाया जाता है । इसके बाद ईवीएम की कंट्रोल यूनिट को सीसीटीवी की निगरानी में काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है ।
अधिकारियों का ऐसा होता है सत्यापन
हर एक सीयू की विशिष्ट आईडी संख्या और सिग्नेचर सील सत्यापित की जाती है और उम्मीदवारों को बाहर ले जाने से पहले उनके पोलिंग एजेंट को दिखाई जाती है। उसके बाद यूनिट पर एक बटन दबाया जाता है। यह ईवीएम पर प्रत्येक उम्मीदवार को उनके नाम के आगे प्राप्त वोट प्रदर्शित करता है। इसके बाद ये नंबर रिजल्ट शीट में भी दर्ज हो जाते हैं।
रिटर्निंग ऑफिसर पार्टियों के उम्मीदवार की मौजूदगी में गिनती करते है
रिटर्निंग ऑफिसर जनरल ऑब्जर्वर और पार्टी के उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पेपर स्लिप्स की गिनती के लिए वीवीपैट मशीन का चयन करने के लिए ‘ड्रा ऑफ लॉट्स’ आयोजित करता है। मतगणना एक सुरक्षित वीवीपीएटी मतगणना बूथ के अंदर होती है, जिसमें मतगणना हॉल के अंदर एक कैमरा होता है और केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम वोटों की गिनती के अंतिम दौर के बाद होता है।
वीवीपैट की गड़बड़ी के बाद इसको वरीयता दी जाती है
अगर वीवीपैट और ईवीएम के नंबरों में अंतर होता है तो कागज की पर्चियों की गिनती की जाती है । अगर उसमें गड़बड़ी होती है तो वीवीपैट की संख्या के मुकाबले ईवीएम संख्या को वरीयता दी जाती है ।